कई लोग देश में टेस्टिंग किट की कमी का जिक्र करते हैं। भारत में 18 मार्च तक 12 हजार से अधिक लोगों की टेस्टिंग हुई थी। भारत की तुलना में बहुत कम आबादी के दक्षिण कोरिया में दो लाख 70 हजार व्यक्तियों की जांच हो चुकी है। प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के रमनन लक्ष्मीनारायण कहते हैं- ‘मेरा संदेह है, यदि हमारे यहां 20 गुना अधिक टेस्ट होते तो 20 गुना से अधिक मामले सामने आ सकते थे। अगर वायरस भारत में आगे बढ़ गया तो उसकी स्थिति अन्य देशों से अलग होगी। ऐसी स्थिति में भारत अमेरिका से दो सप्ताह और इटली से एक माह पीछे रहेगा। देश की अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं को देखते हुए यह चिंताजनक होगा।’ बीते सालों में देश की जीडीपी का केवल 1.6% स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च हो रहा है। भारत में इंटेंसिव केयर यूनिट में एक लाख बिस्तर हैं। इनमें सालभर में 50 लाख लोग भर्ती होते हैं। संकट की स्थिति में हर महीने इतने लोगों के लिए इस सुविधा की जरूरत पड़ेगी।
भारत में कम सुविधाएं चिंताजनक